परिचय: महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख नेता थे। उनके सत्य और अहिंसा के सिद्धांत ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया पर गहरा प्रभाव डाला। उनका संपूर्ण जीवन सादगी, नैतिकता और निष्ठा का एक आदर्श उदाहरण है। इस लेख में हम महात्मा गांधी के जीवन परिचय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
जन्म और प्रारंभिक जीवन: महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उनके पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे और माता पुतलीबाई एक धर्मपरायण महिला थीं। गांधी जी का बचपन सामान्य तौर पर धार्मिक और नैतिक मूल्यों से प्रेरित था, जो उनके भविष्य के जीवन और कार्यों में परिलक्षित होता है।
शिक्षा और विदेश यात्रा: महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई। 1888 में, वह इंग्लैंड गए जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की। 1891 में वे एक बैरिस्टर के रूप में भारत लौटे, लेकिन कानून के क्षेत्र में सफलता नहीं मिली। बाद में, वह एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए, जहाँ उन्होंने नस्लीय भेदभाव का सामना किया और इसे चुनौती दी।
दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष: दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करना शुरू किया। यहीं से उनके जीवन में सत्याग्रह (सत्य के लिए आग्रह) और अहिंसा (हिंसा का विरोध) के सिद्धांतों का विकास हुआ। उन्होंने नस्लीय असमानता के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और भारतीय समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: 1915 में गांधी जी भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में करोड़ों भारतीय स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के लिए एकजुट हुए। गांधी जी ने किसानों, मजदूरों और महिलाओं के अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई।
सत्य और अहिंसा के सिद्धांत: महात्मा गांधी के जीवन का प्रमुख आधार सत्य और अहिंसा था। उनका मानना था कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा के बिना संभव है। वे हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने का उपदेश देते थे और अपने विरोधियों के साथ भी मानवता और करुणा का व्यवहार करते थे। उन्होंने बताया कि किसी भी समाज या राष्ट्र का सच्चा विकास तभी संभव है जब वह सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले।
महात्मा गांधी की मृत्यु: 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। यह घटना देश और दुनिया के लिए एक बड़ा धक्का थी। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके विचार और सिद्धांत आज भी प्रेरणा के स्रोत बने हुए हैं।
महात्मा गांधी की विरासत: गांधी जी की विरासत आज भी प्रासंगिक है। उनके विचारों ने दुनिया भर में स्वतंत्रता और मानवाधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया है। उनकी शिक्षा हमें सिखाती है कि सत्य, अहिंसा और नैतिकता ही जीवन के सर्वोत्तम मार्ग हैं।
निष्कर्ष : महात्मा गांधी का जीवन संपूर्ण मानवता के लिए एक प्रेरणा है। उनके द्वारा दिखाए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही समाज में सच्ची शांति और विकास संभव है। उनका जीवन हमें बताता है कि किसी भी कठिनाई का सामना धैर्य, सच्चाई और करुणा से किया जा सकता है।